छोटी सी जिंदगानी , अरमान निकले भी तो कम |
कई बार जिंदा हुए, कई बार दफन हुए हम ||
कोई शिकवा भी नहीं तुझसे ऐ खुदाया |
तेरी कुदरत में जियें हैं , कभी सूखे कभी नम्म ||
उसपे वो करें , खुश रहने की दुआ |
ये कैसी अदा है मेरे अज़ीज़ मेरे सनम ||
रज़ा में तेरी, रज़ा है सब की |
ना मांगूं कुछ ज्यादा, ना चाहूं कुछ कम ||