(1)................................................................................................................
सूरज ढलता नही आंधी तूफानो के चलने से |
मौसम बदलता नही खुद का हिजाब बदलने से ||
(2).................................................................................................................
ज़िन्दगी खूब बीती, कुछ हसरतों के पैमाने में डूब कर |
हँसता है दिल अब, यादों से खुद को मनसूब कर ||
मुस्कान भी गिरफ्ते दर्द से छूट कर, आसमां का रुख करती है |
मानो, गुज़रे वक़्त की झोली को हसीन तोहफे से भरती है ||
(3).............................................................................................
अपने खालीपन की क्या मिसाल दें , हर लम्हा गुजरते वक़्त एहसान करता है |
हम भी फुरसतों के पहाड़ फ़तेह कर चुके , अब भला खाली रहने से कोन डरता है ||
(4)............................................................................................
ए ज़िन्दगी बस इतना सा करम कर |
थाम ले हाथ मुझे बेफिक्री का भरम कर ||
या खुद से इतना कर दे पराया |
के हर फ़िक्र से साथ छोड़ जाये मेरा साया ||
(5).............................................................................................
इक जाम भर का साथ है तेरा मेरा ज़िन्दगी |
कभी तू मुझ को पीये, कभी मै तुझ को पियूँ ||
रिश्ता उलझे जज़्बात है तेरा मेरा ज़िन्दगी |
कभी तू मुझ से जीये, कभी मै तुझ से जियूं ||
(6).........................................................................................
बंधी जुबां पे चुप्पी सी, कहीं रेशम से सजता साज़ है |
गलियों की हलचल है, कहीं बंद महलों का राज़ है ||
बेकाबू है मनचली है, बहते सपनो की धार है |
तू जैसी भी है ज़िन्दगी तेरी अदा से मुझको प्यार है ||
(7).........................................................................................
ज़िन्दगी जल्द बसर करने की होड़ में इंसानी ज़ात क्यूँ है ,
किसी चाह से पहले , अंजामे-ए-चाहत की बात क्यूँ है ,
बाज़ारी हों तो ज़िन्दगी भी बिकने लगे बाजारों में ,
अमीरी की इस दौड़ में, इतने सस्ते जज़्बात क्यूँ है !
इश्क बाजारों में कहीं खरीदार तलाशता है ,
ना अश्क ना लहू से कुछ उसका वास्ता है ,
थमने दे सांस फिर अपने भी कद्रदान से मुलाक़ात हो ,
की कब्र से हो कर गुज़रता मेरे आशिक रब के घर का रास्ता है !!
(8).....................................................................................
सोने दे ऐ नई सुबह के सूरज तू मुझे सोने दे |
बारिश सी मौजों सा मुझको हर सूखा पार भिगोने दे ||
अभी पलक है कुछ मेरी वजनी सी अभी रात है बाकी आँखों में |
तू एक बार तो सो के देख क्या मज़ा है वक़्त को खोने में ||
तू कैसा राजा बनता है, हर वक़्त गुलामी करता है |
दिन में रोब दिखाता है और रात को चाँद से डरता है ||
आ बैठ मेरी सोहबत में कभी और देख मेरी सपना नगरी |
यहाँ चाँद भी देर से उठता है और सूरज पानी भरता है ||
(9).......................................................................................
इस सबब का हाल क्या बताएं दोस्तों ... के अब होश-बेहोशी में रहते हैं !
हमे तो ज़िन्दगी का नशा है ... सच कहते है जो भी मदहोशी में कहते हैं !!
(10).....................................................................................
यूँ नहीं के आदत है जीने की ...
ना ये कोई नुखते हैं !
कातिल मिले तो सही ...
मरने के शौंक हम भी रखते हैं !!
(11).....................................................................................
फितरतन काफिर इन्सान..
ऐतबार किस का करें ऐ खुदा !
कहते सुना कहीं ..
के तेरा ही अक्स हर शख्स में है !!
(12)..................................................................................
इश्क की बात क्या कीजे...
चाल इसकी कौन कर सकेगा बेहतर दर्ज हमसे !
फ़तेह कर सारा जहाँ...
दीदार भर से दम तोड़ गये थे खुदगर्ज़ हमसे !!